बोझ उठाता देखा, इक बच्चा मैंने, सड़क पर लड़खड़ाते कदम थे उसके। बोझ उठाता देखा, इक बच्चा मैंने, सड़क पर लड़खड़ाते कदम थे उसके।
बाल मज़दूरी के एक कविता। बाल मज़दूरी के एक कविता।
रोक लगाओ बाल मजदूरी... सिसक-सिसक के बोल रही... रोक लगाओ बाल मजदूरी... सिसक-सिसक के बोल रही...
मासूमियत...। मासूमियत...।
मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...। मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...।
एक कविता...। एक कविता...।